किसानो के मसीहा चौधरी महेन्द्र सिंह टिकैत जी को उनके 81 वें जन्मदिवस पर शत शत नमन......


जब तक सूरज चाँद रहेगा बाबा टिकैत तेरा नाम रहेगा ।
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किसानों के मसीहा चौ0 महेन्द्र सिंह टिकैत का जीवन परिचय

किसानों के मसीहाः त्याग व सेवा का प्रतीक माना जाने वाले बाबा टिकैत को न तो कभी ताज का न राज का मोह था। जीवन भर निष्पक्ष और निस्वार्थ भाव से किसानों की सेवा को अपना धर्म मान जीवन भर सेवा करते रहे।
किसानों के तारणहार, चौ0 महेन्द्र सिंह टिकैत का जन्म मुजफ्फरनगर (उ.प्र.) जिले के सिसौली गांव में 1935 में एक बालियान गोत्रीय जाट किसान परिवार में हुआ था। चौ0 टिकैत ने शिक्षा गांव के ही एक जूनियर हाई स्कूल में कक्षा 7 तक प्राप्त की। चौ0 टिकैत के पिता का नाम श्री चौहल सिंह टिकैत व माता का नाम श्रीमति मुख्तयारी देवी था। चौ0 चौहल सिंह टिकैत बालियान खाप के चौधरी थे इनके पूर्वज राजकुमार राव विजय राव ने हरियाणा धावनी नगर से सन् 845 ई0 में उत्तर प्रदेश में आकर शिवपुरी नामक गांव बसाया। वहीं शिवपुरी गांव सिसौली के नाम से जाना जाता है। शिवपुरी गांव के आस-पास बालियान गौत्र के कुल 84 गांव आकर बसे। शिवपुरी गांव अपनी स्थापना काल से ही बालियान खाप के चौधरी का निवास स्थान रहा है। एक किंवदन्ती के अनुसार बालियान खाप की बहादुरी एवं वफादारी से प्रभावित होकर राजा हर्षवर्धन ने कार्यकाल (606-647) के दौरान बालियान खाप के चौधरी को अपने दांये हाथ के अंगूठे के खून से टीका किया था। तभी से खाप चौधरी को ‘‘टिकैत’’ कहने की परम्परा चल रही है। निकटवर्ती गांव सोरम के एक परिवार में सर्वखाप का मंत्री बनाने की भी परम्परा तभी से चली आ रही है।

सन् 1943 में 8 वर्ष की अल्पायु में ही महेन्द्र सिंह को उनके पिता चौ0 चाहल सिंह की मृत्यु के उपरान्त बालियान खाप के चौधरी पद पर आसीन कराया गया। चौ0 महेन्द्र सिंह टिकैत का परिवार निम्नस्तरीय किसान परिवार था। 10 फरवरी 1945 में बालियान खाप की एक पंचायत में खाप चौधरी की मदद का प्रस्ताव पास हुआ। इस प्रस्ताव में पास हुआ था कि खाप के मुखिया को आर्थिक रूप से इतना सम्पन्न होना चाहिए कि खाप की सेवा करते हुए भी उनके परिवार के लालन पालन में कोई मुश्किल न आ सके। 12 मई 1945 को इनके परिवार को सिसौली में खाप द्वारा एकत्र की गयी धनराशि से जमीन खरीद कर दी गई। इस महती कार्य में सबसे अधिक श्रम तत्कालीन सर्वखाप चौ0 कबूल सिंह ने किया। वे बालक महेन्द्र सिंह को अपने साथ लेकर बालियान गोत्रीय गांव-गांव जाते और वहां से उनके परिवार हेतु धन एकत्र करते।
शारीरिक रूप से अत्यन्त बलिष्ठ कद-काठी के 6 फुट से ज्यादा लम्बे महेन्द्र सिंह के नाम के साथ पहली बार सम्बोधन के रूप में ‘‘टिकैत’’ उपाधिवाचक शब्द का उपयोग किया गया।
चौ0 महेन्द्र सिंह टिकैत का जन्म उत्तर प्रदेश के जनपद मुजफ्फरनगर के कस्बा सिसौली में 6 अक्टूबर सन् 1935 में एक किसान परिवार में हुआ। इन्होंने शिक्षा गांव के ही एक जूनियर हाई स्कूल में कक्षा 7 तक प्राप्त की। चौ0 टिकैत के पिता का नाम श्री चौहल सिंह टिकैत व माता का नाम श्रीमति मुख्तयारी देवी था। चौ0 चौहल सिंह टिकैत बालियान खाप के चौधरी थे। अपने पिता की मृत्यु के समय चौ0 महेन्द्र सिंह टिकैत मात्र आठ वर्ष के थे तथा आठ वर्ष की आयु में इन्हें बालियान खाप की जिम्मेदारी संभालनी पड़ी। चौ0 कबूल सिंह जो सर्वखाप के मंत्री थे, उनके सहयोग से चौ0 टिकैत ने अपनी जिम्मेदारी का निर्वाह पूर्ण रूप से किया। चौ0 टिकैत ने सामाजिक सुधार के कार्यक्रमों को क्रियान्वित करते हुए सन् 1950, 1956, 1963, 2006, 2010 में बड़ी सर्वखाप पंचायतों में पूर्ण रूप से भागीदारी रखते हुए दहेज प्रथा, मृत्यु भोज, दिखावा, नशाखोरी, भू्रण हत्या, पर्यावरण आदि जैसी सामाजिक कुरीतियों, बुराईयों पर नियन्त्रण करने में महत्वपूर्ण योगदान दिया। दिनांक 15-05-2011 को सुबह सात बजकर दस मिनट पर अपने प्राणों को त्याग दिए।

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