बाबा भय सिंह ( इतिहास के पन्नो में खोये हुए योद्धा )

कुछ महापुरुष ऐसे होते है जिनका नाम इतिहास के पन्नो में खो जाता है जाट युद्ध प्रिय रहा है पर कमी ये रही है कि जाट कलम का कमजोर रहा है ऐसे महापुरषो का इतिहास भुला दिया गया जो स्वर्णिम अक्षरो में लिखना चाहिए था
आज बात करते है बाबा भय सिंह की, बाबा भय सिंह का नाम भोर सिंह था जिनका जन्म डीगल गांव जिला झज्जर (हरियाणा) में हुआ था जिनके नाम पर गांव भैंसी (मुज़फ्फरनगर ) का नाम पड़ा शुरू शुरू में इस गांव को भय सिंह की ढाणी कहते थे जो बाद में अंग्रेजो ने बिगाड़ कर भैंसी कर दिया कुछ लोग बाबा भय सिंह को लुटेरा कहते है जिनका ख़ौफ़ बहुत था परंतु बाबा भय सिंह गरीबो के रोबिन हुड थे जो बड़े बड़े व्यापारियों को लूट कर गरीबो में बाटते थे बाबा भय सिंह ने आस पास के गावो के जाटो के साथ मिलकर 1761 में अहमदशाह के काफिले को लूट लिया था फिर बाबा भय सिंह आस पास के जाटो को लेकर यमुना पार करके कई समूह में गांव बसाये जिसमे अहलावत गोत्र के साथ दलाल गोत्री जाट और अन्य गोत्र भी थे कुछ अहलावत जाट कंडेरा - तोमर गोत्र के गांव में रुके (बागपत ) में रुके, कुछ ने दौराला (मेरठ) गांव बसाया कुछ गंगा पर करके बिजनोर गए वहाँ कई गांव बसाये | बाबा भय सिंह अपने परिवार वालो और परिचितों के साथ अनूपशहर (आधुनिक भैंसी- मुज़फ्फरनगर ) में बसे ये बहुत प्राचीन और बड़ा गांव था जिसमे बनिए, जुलाहे और पठान मुख्य जाति थी धीरे धीरे बाबा भय सिंह और उनके परिचितों के डर से व्यापारी और अन्य जातिया गांव से पलायन कर गयी आज इस गांव में एक बनिए और एक पठान का घर रह गया है यह इतना प्राचीन गांव है कि आज भी इस गांव में जब भी नींव डालते है पक्की कुईया (बने बनाये ), नर कंकाल और चुडिया आदि चीज़े मिलती है आज यह गांव जाटो के बड़े गाँवो में आता है आज इस गांव में 60% से ज्यादा आबादी जाटो की है इस गांव के लोग खुद को डिगलिया बोलते है अहलावत गोत्र के जाटो की संख्या 6200 के करीब है 400 के करीब दलाल गोत्री जाट भी रहते है जिनमे बाबा भय सिंह की बहन की शादी हुई थी जिन्हें बाबा ने अपनी साथ ही बसाया था बाबा की वीरता के कई किस्से है जोकि हम कलम में कमजोर होने के कारण बाबा को भूल गए वरना जिनकी बदोलत जाटो के 20 से ज्यादा गाँवो की स्थापना हुई जो अपने आप में बड़ी बात है उन्हें आज हम भूल गए
जिन महापुरुषो की बदौलत हमारा अस्तित्व है उन्हें हमे नही भूलना चाहिए आगे हम ऐसे ही जाट महापुरुषो का वर्णन करेंगे जिन्होंने जाटो का भूगोल और इतिहास ही पलट दिया और वो खुद इतिहास के पन्नो में खो गए है

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