खाप V/S कोर्ट

1-खाप में लगभग 20 आदमियो से लेकर 200 आदमी तक सुनवाई के बाद फैसला देते है, 
   जिसे पहले गांव स्तर पर
   फिर तपा स्तर पर 
   फिर खाप स्तर पर और
   फिर सर्वखाप स्तर पर चुनोतियाँ दी जा सकती है,
   बल्कि
   कोर्ट में एक आदमी बैठता है, अगर उसका मूड खराब है तो गई भैंस पानी मे।




2- खाप सिस्टम में अपराधी को नही अपराध को खत्म करके भाईचारा स्थापित करने पर जोर दिया जाता है
    बल्कि
    कोर्ट में आपस मे फांसी उम्रकैद करवा के दुश्मनी पक्की करवाई जाती है।


3- खाप में अगर 200 आदमी आ रहे है तो उनकी कोई फीस नही होती जबकि खाना पीना भी नही होता,
    बल्कि
    कोर्ट में मुकदमो में खर्चो पर इंसान को किडनी तक बेचनी पड़ सकती है, यहां भूखे पेट भजन ना होयो,


4- खाप सिस्टम में अपराधी समाज की आंखों में शर्मशार हो जाता है,
    बल्कि
    उसे जेल भेज कर कोर्ट उसको पक्का उघाड़ा बना देती है,


5- चाऊमीन वाला बयान देने वाले कि इज़्ज़त उतार ली थी खाप ने, वो इंसान आज तक सामने नही आया,
    बल्कि
   आँसुवीर जज साहब जल्द ही किसी अच्छे पद पर आसीन होंगे,
  कमियां खाप में भी है और कोर्ट में भी है, निश्छल और निर्मल कोई नही है, लेकिन जहां जज खुद को my lord मानते है,
  वहीं खाप में समाज की शर्म आज भी बरकरार है,
  पूंजीवाद की वजह से खापों को तबाह किया जा रहा है,
  मैं कोर्ट के खिलाफ नही हूँ,
  लेकिन मैं मेरी अच्छी परम्पराओ को यू दम तोड़ते भी नही देख सकता।
  अगर कुछ बच गया हो तो आप पूरा करे।

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