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Showing posts from March, 2017

बागपत जिले का तोमर गोत्र का #_बावली गांव भारत मे ही नही बल्कि यह गांव एशिया का सबसे बड़ा गांव है इसकी आबादी 50 हजार से उपर बताते हैं बताते हैं कि भारत में कोई भी ऐसा कृषि विश्वविद्यालय नहीं हैं जहां बावली गांव का आदमी ना हो इस गांव के किस्से भी बहुत प्रसिद्ध हैं बाबली गाँब से ही दूसरे जिलो मे तोमरो ने गाँव बसाये है । बाबली जो की दिल्ली -सहारनपुर NH 57 पर है ।बावली गाँव को तीन भाईयों ने बसाया था । जिनका नाम बाहुबली सिंह , महावतसिंह, रूस्तमसिंह था ने क्रमश बाहुबली गाँव ,महावातपुर ,रुस्तमपुर बसाया । बाहुबली गाँव ही आज का बावली गाँव है ।बावली गाँव में संवत 1560 के आस -पास सर्व खाप पंचायत भी हुई थी बावली में 7 पट्टी है । मुख्य पट्टी 1 देशो की 2 मोल्लो की 3 गोपी की 4 राणो की 5 कट्कड़ की मुख्य पट्टी है बावली गाँव में ही समय में तीन प्रधान होते है ।राणो की पट्टी में तोमर गोत्र के जाट है । राणा टाइटल लिखते है ।सन ११९७ ई.मेंराजा भीम देवकी अध्यक्षता में बावली बडौत के बीच विशाल बणी में सर्वखाप पंचायत की बैठक हुई थी जिसमें बादशाह द्वारा हिन्दुओं पर जजिया कर लगाने तथा फसल न होने पर पशुओं को हांक ले जाने के फरमानों का मुँहतोड़ जवाब देने के लिए ठोस कार्रवाई करने पर विचार किया गया. इस पंचायत में करीब १००००० लोगों ने भाग लिया. पंचायती फैसले के अनुसार सर्वखाप की मल्ल सेना ने शाही सेना को घेर कर हथियार छीन लिए और दिल्ली पर चढाई करने का एलान किया. बादशाह ने घबराकर दोनों फरमान वापिस लेकर पंचायत से समझौता कर लिया.

बागपत जिले का तोमर गोत्र का #बागपत जिले का तोमर गोत्र का #_बावली गांव भारत मे ही नही बल्कि यह गांव एशिया का सबसे बड़ा गांव है इसकी आबादी 50 हजार से उपर बताते हैं बताते हैं कि भारत में कोई भी ऐसा कृषि विश्वविद्यालय नहीं हैं जहां बावली गांव का आदमी ना हो इस गांव के किस्से भी बहुत प्रसिद्ध हैं बाबली गाँब से ही दूसरे जिलो मे तोमरो ने गाँव बसाये है । बाबली जो की दिल्ली -सहारनपुर NH 57 पर है ।बावली गाँव को तीन भाईयों ने बसाया था । जिनका नाम बाहुबली सिंह , महावतसिंह, रूस्तमसिंह था ने क्रमश बाहुबली गाँव ,महावातपुर ,रुस्तमपुर बसाया । बाहुबली गाँव ही आज का बावली गाँव है ।बावली गाँव में संवत 1560 के आस -पास सर्व खाप पंचायत भी हुई थी बावली में 7 पट्टी है । मुख्य पट्टी 1 देशो की 2 मोल्लो की 3 गोपी की 4 राणो की 5 कट्कड़ की मुख्य पट्टी है बावली गाँव में ही समय में तीन प्रधान होते है ।राणो की पट्टी में तोमर गोत्र के जाट है । राणा टाइटल लिखते है ।सन ११९७ ई.मेंराजा भीम देवकी अध्यक्षता में बावली बडौत के बीच विशाल बणी में सर्वखाप पंचायत की बैठक हुई थी जिसमें बादशाह द्वारा हिन्दुओं पर जजिया कर लगाने

#जययौद्धेय सिक्ख धर्म बनाम आर्यसमाज

1857 का ग़दर हुआ.1857 के ग़दर में दिल्ली के जो चारों तरफ़ दिल्ली देहात का जो हिस्सा था उसने ग़दर में मुख्य भूमिका निभाई और अंग्रेजों को नाकों तले चने चबाने पड़े.इसलिए अंग्रेजों नें सोचा अगर संयुक्त हरयाना को तोड़ना होगा नही तो ये फ़िर ग़दर मचाएंगे.1858 को अंग्रेजों नें हरयाना को तोड़ दिया.हरद्वार जो हरयाना का द्वार होता था,कुछ हिस्सा up में जोड़ दिया,जिसको वेस्टर्न up कहा जाता है.हरयाना का कुछ हिस्सा पंजाब में जोड़ दिया जिसको आप हरयाना कहा जाता है. हरयाना का जो हिस्सा पंजाब से जुड़ा उससे एक सम्भावना पैदा हुई कि, पंजाब के प्रभाव आकर सिक्ख बन जाएगा और ये केवल सम्भावना ही पैदा नही हुई हरयाना के जाट नें कुरुक्षेत्र,करनाल,कैथल,यमुनानगर,अम्बाला आदि जगहों पर  सिक्ख धर्म को अख्तियार करना शुरू भी कर दिया. इससे ब्राह्मणों को चिंता हुई कि पंजाब का जाट तो पहले ही सिक्ख बन चुका है अगर हरयाना का जाट भी सिक्ख बन गया तो फ़िर up का जाट भी सिक्ख बनेगा और राजस्थान का जाट भी सिक्ख बनेगा और बाकि सभी जगहों का जाट भी सिक्ख बन जाएगा.इस तरीके से जाट कौम एक मज़बूत कौम बनकर उभरेगी और जो गुरु गोविंदसिंह महराज जी नें क

Bhainsi (भैंसी) और Daurala (दौराला) गांव का इतिहास -

अहलावत गोत्र हरियाणा, राजस्थान और पश्चिमी उ०प्र० की प्रसिद्ध और काफी फैली हुई गोत्र है अहलावत गोत्र की दो खापे हैं हरियाणा में डीघल गांव में है और पश्चिमी उ०प्र० में भैंसी के जाटों पर है जिन्होंने रायपुर नंगली गांव बसाकर वही पर अपना निवास स्थान बना लिया है अहलावत खाप के उत्तर प्रदेश के खाप चौधरी भी रायपुर नगँली के ही है । जो चौधरी गजेन्द्र सिहँ अहलावत जी है हरियाणा में इस गोत्र के 112 गांव है और उ०प्र० में 554 गाँव हैं अहलावत गोत्र के अधिकतर गांव हरियाणा से आये हैं अहलावत गोत्र के सबसे दबंग गांव मुजफ्फरनगर जिले में माने जाते हैं जबकि मुजफ्फरनगर में अहलावत गोत्र के कुल 27 गांव है उनमें 2 गांव सिख जाटों के हैं जो पंजाब से आये थे और बाक़ी के गांव हरियाणा से आये थे बिजनौर मे अहलावतो के 65-70 गाँव है । कुछ गांवों की नसलों की बात ही अलग होती हैं ऐसे ही दो गांव है अहलावत गोत्र के मुख्य गांव दोराला(मेरठ), भैंसी (मुजफ्फरनगर) हैं दोनों गांव की जनसंख्या 10 हजार से उपर हैं दौराला 16 हजार और भैंसी 11 हजार हैं इन दोनों गांवों का निकाड डीघल गांव से है इसलिए पश्चिमी उ०प्र० की खाप चौधराहट रखने की लड़ा

Incredible India | Atithi Devo Bhava अतिथिदेवो भव | DesiDhadkan

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जाट इतिहास

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जनसांख्यिकी जाट एक क्षत्रिय जाती है।   वर्ष 2016 तक, जाट, भारत की कुल जनसंख्या का २ प्रतिशत हैं। 21वीं सदी के पूर्वार्द्ध में, पंजाब की कुल जनसंख्या का 20 प्रतिशत जाट थी, लगभग 10 प्रतिशत जनसंख्या ब्लोचिस्तान, राजस्थान और दिल्ली तथा 2 से 5 प्रतिशत जनसंख्या सिन्ध, उत्तर-पश्चिम सीमान्त और उत्तर प्रदेश में रहती थी। पाकिस्तान के 40 लाख जाट मुस्लिम हैं; भारत के लगभग 60 लाख जाट दो अलग जातियों के रूप में विभाजित हैं: एक सिख जो मुख्यतः पंजाब केन्द्रित हैं तथा अन्य हिन्दू हैं। भारत में जाटों की सम्भावित संख्या ८.२५ करोड के लगभग है। भारतीय गणराज्य राजस्थान (धौलपुर व भरतपुर के अलावा), उत्तर प्रदेश और दिल्ली जैसे राज्यों में जाट जाति  अन्य पिछड़ा वर्ग  के रूप में वर्गीकृत की गयी हैं। 20वीं सदी और वर्तमान में जाट हरियाणा   और  पंजाब  में राजनैतिक रूप से अग्रणी भूमिका निभा रहे हैं। भारत के छटे प्रधानमंत्री  चरण सिंह  सहित कुछ जाट नेता ख्यात राजनेताओं के रूप में उभरे। पाकिस्तान पाकिस्तान में बड़ी संख्या में जाट मुस्लिम रहते हैं और  पाकिस्तानी पंजाब  तथा मौटे तौर पर पाकिस्तान में सार्