Bhainsi (भैंसी) और Daurala (दौराला) गांव का इतिहास -


अहलावत गोत्र हरियाणा, राजस्थान और पश्चिमी उ०प्र० की प्रसिद्ध और काफी फैली हुई गोत्र है अहलावत गोत्र की दो खापे हैं हरियाणा में डीघल गांव में है और पश्चिमी उ०प्र० में भैंसी के जाटों पर है जिन्होंने रायपुर नंगली गांव बसाकर वही पर अपना निवास स्थान बना लिया है अहलावत खाप के उत्तर प्रदेश के खाप चौधरी भी रायपुर नगँली के ही है । जो चौधरी गजेन्द्र सिहँ अहलावत जी है हरियाणा में इस गोत्र के 112 गांव है और उ०प्र० में 554 गाँव हैं अहलावत गोत्र के अधिकतर गांव हरियाणा से आये हैं अहलावत गोत्र के सबसे दबंग गांव मुजफ्फरनगर जिले में माने जाते हैं जबकि मुजफ्फरनगर में अहलावत गोत्र के कुल 27 गांव है उनमें 2 गांव सिख जाटों के हैं जो पंजाब से आये थे और बाक़ी के गांव हरियाणा से आये थे बिजनौर मे अहलावतो के 65-70 गाँव है । कुछ गांवों की नसलों की बात ही अलग होती हैं ऐसे ही दो गांव है अहलावत गोत्र के मुख्य गांव दोराला(मेरठ), भैंसी (मुजफ्फरनगर) हैं दोनों गांव की जनसंख्या 10 हजार से उपर हैं दौराला 16 हजार और भैंसी 11 हजार हैं इन दोनों गांवों का निकाड डीघल गांव से है इसलिए पश्चिमी उ०प्र० की खाप चौधराहट रखने की लड़ाई भी इन दोनों गांवों में हुई थी फिर भैंसी गांव के अहलावतो ने नया गांव बसाकर रायपुर नंगली उसमें अपनी चौधराहट रखी ये दोनों गांव एक बाबा के बेटो के ही बसाये हुए गांव है इसी कारण इन दोनों गांवों में प्रेम और प्रतिद्वंद्वितादोनों बनी रहती हैं और बाक़ी के अहलावत गांव अलग अलग जगहों से आये हैं परंतु ये दोनों गांव खुद को डीघलिया कहते हैं इन दोनों गांवों के युवा लम्बे, तगड़े और खेलों में आगे रहते हैं दौराला में तो कई खेल पुरस्कार और एक अर्जुन पुरस्कार भी हैं मुजफ्फरनगर जिले में भैंसी और मेरठ जिले में दौराला गांव पर सबसे ज्यादा लाइसेंसी हथियार है एक बार जब भैंसी गांव की 1985 में एकमात्र गांव की 38 गुज्जरो के गांवों से लड़ाई हुई थी तो दोराला गांव में से हर घर में से एक आदमी आया था यह लड़ाई इतनी भंयकर थी कि उ०प्र के कृषि मंत्री आये थे और कहा था कि लडाई इतनी खतरनाक लग रही हैं कि कई सौ आदमी मारे गये हों उस लड़ाई में 23 आदमी मरे थे 2 भैंसी के बाकी उनके। मुजफ्फरनगर में खतौली ब्लाक एकमात्र ब्लॉक हैं जहाँ जाटों के गांव बहुत कम है 5 गांव हैं फिर भी भैंसी गांव के दबदबे के कारण खतौली विधानसभा सीट हमेशा रालोद के खाते में जाती हैं भैंसी और दौराला दोनों गांवों की आबादी 10 हजार से ज्यादा है भैंसी गांव के दबदबे के कारण ही खतौली मिल में समय पर पेमेंट हो पाता है भैंसी और दोराला गांव की दूरी एकदूसरे से 20 किमी० की हैं दोनों गांव NH-58 पर ही है भैंसी गांव से 4 किमी० दूर से ही अहलावतो के गांव शुरू हो जाते हैं परंतु जैसी बात बात इन दोनों गांवों की आपस में है शायद ही किसी गांव में हो अब समय बदल रहा है नई पीढ़ी का आना जाना बहुत कम हो गया है परन्तु आज तक कहावतों में इन दोनों गांवों की एकता की बात कही जाती थीं अब तो गांवों में राजनीति घुस गई हैं वरना इन दोनों गांवों में काफी प्रसिद्ध बदमाश हुए हैं भोपाल दुरालिया, सुरेन्द्र दुरालिया, कृष्ण भैंसी ये बदमाश एक दूसरे के गांवों में फरारी काटते थे भोपाल दुरालिया जब सरधना से विधायक बने और उ०प्र० में मंत्री बने सबसे पहले भैंसी आये जबकि भैंसी गांव खतौली विधानसभा सीट में लगता हैं उन्हें देखकर गांव के युवाओं ने उन्हें कन्धो पर उठा लिया यह देखकर पश्चिमी उ०प्र० के सबसे दबंग मफिया और मंत्री की आंखों से आंसू छलक गए थे इतनी खुशी तो दौराला में भी नहीं मनी थीं दो दिन तक भैंसी गांव में दौराला वालो चूल्हानोत भंडारा था जबकि भोपाल जी दौराला गांव के थे आज की पीढ़ी अपने इतिहास से अवगत नहीं है वरना तो हर गांव का अपना अलग अस्तित्व और इतिहास हैं हम चाहते हैं इन दोनों गांवों का प्रेम और स्नेह हमेशा बना रहे आबादी ज्यादा होने के कारण इन दोनों गांवों में राजनीति घुस गईं हैं भैंसी गांव के उपर तो कई लोकल कहावतें प्रसिद्ध हैं भैंसी की राजनीति और मथेडी(सुशील मुंछ वाला गांव) गांव के रासते जिसकी समझ में आ गए वो कभी मार नहीं खायेगा हमे गांव की राजनीति से उपर उठकर अपनी जाट जाति के लिए एक होना होगा
#Ahlawat
जय जाट, जय जाटलैंड

Comments

  1. मैं भी अहलावत हूं ग्राम भैंसी से

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