जाट इतिहास

जनसांख्यिकी


जाट एक क्षत्रिय जाती है। वर्ष 2016 तक, जाट, भारत की कुल जनसंख्या का २ प्रतिशत हैं।
21वीं सदी के पूर्वार्द्ध में, पंजाब की कुल जनसंख्या का 20 प्रतिशत जाट थी, लगभग 10 प्रतिशत जनसंख्या ब्लोचिस्तान, राजस्थान और दिल्ली तथा 2 से 5 प्रतिशत जनसंख्या सिन्ध, उत्तर-पश्चिम सीमान्त और उत्तर प्रदेश में रहती थी। पाकिस्तान के 40 लाख जाट मुस्लिम हैं; भारत के लगभग 60 लाख जाट दो अलग जातियों के रूप में विभाजित हैं: एक सिख जो मुख्यतः पंजाब केन्द्रित हैं तथा अन्य हिन्दू हैं।
भारत में जाटों की सम्भावित संख्या ८.२५ करोड के लगभग है।

भारतीय गणराज्य

राजस्थान (धौलपुर व भरतपुर के अलावा), उत्तर प्रदेश और दिल्ली जैसे राज्यों में जाट जाति अन्य पिछड़ा वर्ग के रूप में वर्गीकृत की गयी हैं।
20वीं सदी और वर्तमान में जाट हरियाणा और पंजाब में राजनैतिक रूप से अग्रणी भूमिका निभा रहे हैं। भारत के छटे प्रधानमंत्री चरण सिंह सहित कुछ जाट नेता ख्यात राजनेताओं के रूप में उभरे।

पाकिस्तान

पाकिस्तान में बड़ी संख्या में जाट मुस्लिम रहते हैं और पाकिस्तानी पंजाब तथा मौटे तौर पर पाकिस्तान में सार्वजनिक जीवन में प्रमुख भूमिका में हैं। इसके अतिरिक्त पाकिस्तान-प्रशासित कश्मीर में भी जाट समुदाय निवास करते हैं।
पाकिस्तान में भी जाट नेता विशिष्ट राजनेता हैं जैसे आसिफ अली ज़रदारी और हिना रब्बानी खर

संस्कृति और समाज

सेना

14वें मूर्रे जाट लांसर्स (रिसालदार मेजर)
भारतीय सेना में बड़ी संख्या में जाट लोग हैं जिसमें जाट रेजिमेंटसिख रेजिमेंटराजपूताना राइफल्स और ग्रेनेडियर्स शामिल हैं, जिनमें उन्हें वीरता और बहादुरी के विभिन्न पुरस्कार प्राप्त हुये हैं। जाट लोग पाकिस्तानी सेना (मुख्यतः पंजाब रेजिमेंट) में शामिल हैं।

धार्मिक धारणा

इतिहासकार खुशवन्त सिंह, के अनुसार, जाटों ने उन्हें कभी भी ब्राह्मणवाद को स्वीकार नहीं किया।
जाट अपने पूर्वजों की पूजा करते हैं जिसे जथेरा बोला जाता है।
यदुवंशज भगवान कृष्ण को जाट समुदाय अपना पूर्वज मानता है। जाटों की उत्पत्ति के बारे में विभिन्न मत हैं परंतु स्वीकृत सिद्धान्त के अनुसार जाट मूलतः भारतीय हैं। सिकंदर से लोहा लेने वाले पोरस को भी बहुदा जाट बताया जाता है। जाटों की उत्पत्ति शिवजी के जट्टो(बालो)से मानी जाती है,जिन्हें शिवजी ने अपने भुजाओ का बल दिया।

वर्ण स्थिति

स्रोतों के अनुसार जाट क्षत्रिय माने जाते हैं। उस समय आर्य समाज द्वारा यह दावा किया गया कि जाट भारत-सीथिया मूल के हैं। जाट मे सूर्यवंशी चंद्रवंशी यदुवंशी सब सम्मिलित है।

गौत्र पद्धति

जाट लोग विभिन्न गोत्रों में विभक्त हैं जिनमें से कुछ गौत्र एक दूसरे पर अधिव्यापित होती हैं।

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