बागपत जिले का तोमर गोत्र का #_बावली गांव भारत मे ही नही बल्कि यह गांव एशिया का सबसे बड़ा गांव है इसकी आबादी 50 हजार से उपर बताते हैं बताते हैं कि भारत में कोई भी ऐसा कृषि विश्वविद्यालय नहीं हैं जहां बावली गांव का आदमी ना हो इस गांव के किस्से भी बहुत प्रसिद्ध हैं बाबली गाँब से ही दूसरे जिलो मे तोमरो ने गाँव बसाये है । बाबली जो की दिल्ली -सहारनपुर NH 57 पर है ।बावली गाँव को तीन भाईयों ने बसाया था । जिनका नाम बाहुबली सिंह , महावतसिंह, रूस्तमसिंह था ने क्रमश बाहुबली गाँव ,महावातपुर ,रुस्तमपुर बसाया । बाहुबली गाँव ही आज का बावली गाँव है ।बावली गाँव में संवत 1560 के आस -पास सर्व खाप पंचायत भी हुई थी बावली में 7 पट्टी है । मुख्य पट्टी 1 देशो की 2 मोल्लो की 3 गोपी की 4 राणो की 5 कट्कड़ की मुख्य पट्टी है बावली गाँव में ही समय में तीन प्रधान होते है ।राणो की पट्टी में तोमर गोत्र के जाट है । राणा टाइटल लिखते है ।सन ११९७ ई.मेंराजा भीम देवकी अध्यक्षता में बावली बडौत के बीच विशाल बणी में सर्वखाप पंचायत की बैठक हुई थी जिसमें बादशाह द्वारा हिन्दुओं पर जजिया कर लगाने तथा फसल न होने पर पशुओं को हांक ले जाने के फरमानों का मुँहतोड़ जवाब देने के लिए ठोस कार्रवाई करने पर विचार किया गया. इस पंचायत में करीब १००००० लोगों ने भाग लिया. पंचायती फैसले के अनुसार सर्वखाप की मल्ल सेना ने शाही सेना को घेर कर हथियार छीन लिए और दिल्ली पर चढाई करने का एलान किया. बादशाह ने घबराकर दोनों फरमान वापिस लेकर पंचायत से समझौता कर लिया.

बागपत जिले का तोमर गोत्र का #बागपत जिले का तोमर गोत्र का #_बावली गांव भारत मे ही नही बल्कि यह गांव एशिया का सबसे बड़ा गांव है इसकी आबादी 50 हजार से उपर बताते हैं बताते हैं कि भारत में कोई भी ऐसा कृषि विश्वविद्यालय नहीं हैं जहां बावली गांव का आदमी ना हो इस गांव के किस्से भी बहुत प्रसिद्ध हैं बाबली गाँब से ही दूसरे जिलो मे तोमरो ने गाँव बसाये है । बाबली जो की दिल्ली -सहारनपुर NH 57 पर है ।बावली गाँव को तीन भाईयों ने बसाया था । जिनका नाम बाहुबली सिंह , महावतसिंह, रूस्तमसिंह था ने क्रमश बाहुबली गाँव ,महावातपुर ,रुस्तमपुर बसाया । बाहुबली गाँव ही आज का बावली गाँव है ।बावली गाँव में संवत 1560 के आस -पास सर्व खाप पंचायत भी हुई थी बावली में 7 पट्टी है ।
मुख्य पट्टी
1 देशो की
2 मोल्लो की
3 गोपी की
4 राणो की
5 कट्कड़ की
मुख्य पट्टी है बावली गाँव में ही समय में तीन प्रधान होते है ।राणो की पट्टी में तोमर गोत्र के जाट है । राणा टाइटल लिखते है ।सन ११९७ ई.मेंराजा भीम देवकी अध्यक्षता में बावली बडौत के बीच विशाल बणी में सर्वखाप पंचायत की बैठक हुई थी जिसमें बादशाह द्वारा हिन्दुओं पर जजिया कर लगाने तथा फसल न होने पर पशुओं को हांक ले जाने के फरमानों का मुँहतोड़ जवाब देने के लिए ठोस कार्रवाई करने पर विचार किया गया. इस पंचायत में करीब १००००० लोगों ने भाग लिया. पंचायती फैसले के अनुसार सर्वखाप की मल्ल सेना ने शाही सेना को घेर कर हथियार छीन लिए और दिल्ली पर चढाई करने का एलान किया. बादशाह ने घबराकर दोनों फरमान वापिस लेकर पंचायत से समझौता कर लिया. गांव भारत मे ही नही बल्कि यह गांव एशिया का सबसे बड़ा गांव है इसकी आबादी 50 हजार से उपर बताते हैं बताते हैं कि भारत में कोई भी ऐसा कृषि विश्वविद्यालय नहीं हैं जहां बावली गांव का आदमी ना हो इस गांव के किस्से भी बहुत प्रसिद्ध हैं बाबली गाँब से ही दूसरे जिलो मे तोमरो ने गाँव बसाये है । बाबली जो की दिल्ली -सहारनपुर NH 57 पर है ।बावली गाँव को तीन भाईयों ने बसाया था । जिनका नाम बाहुबली सिंह , महावतसिंह, रूस्तमसिंह था ने क्रमश बाहुबली गाँव ,महावातपुर ,रुस्तमपुर बसाया । बाहुबली गाँव ही आज का बावली गाँव है ।बावली गाँव में संवत 1560 के आस -पास सर्व खाप पंचायत भी हुई थी बावली में 7 पट्टी है ।
मुख्य पट्टी
1 देशो की
2 मोल्लो की
3 गोपी की
4 राणो की
5 कट्कड़ की
मुख्य पट्टी है बावली गाँव में ही समय में तीन प्रधान होते है ।राणो की पट्टी में तोमर गोत्र के जाट है । राणा टाइटल लिखते है ।सन ११९७ ई.मेंराजा भीम देवकी अध्यक्षता में बावली बडौत के बीच विशाल बणी में सर्वखाप पंचायत की बैठक हुई थी जिसमें बादशाह द्वारा हिन्दुओं पर जजिया कर लगाने तथा फसल न होने पर पशुओं को हांक ले जाने के फरमानों का मुँहतोड़ जवाब देने के लिए ठोस कार्रवाई करने पर विचार किया गया. इस पंचायत में करीब १००००० लोगों ने भाग लिया. पंचायती फैसले के अनुसार सर्वखाप की मल्ल सेना ने शाही सेना को घेर कर हथियार छीन लिए और दिल्ली पर चढाई करने का एलान किया. बादशाह ने घबराकर दोनों फरमान वापिस लेकर पंचायत से समझौता कर लिया.

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