अस्तित्व की जंग जारी है। क्या हम जंग हार रहे हैं ?
जाट कौम ने संसार में जगह-जगह अपनी मातृभूमि के लिए खून बहाया और कभी हारे भी तो हारकर बैठे नहीं । यही एक सच्चे योद्धा की पहचान है । लेकिन मैं दूसरी जंग की बात कर रहा हूँ ।
उत्तर भारत के तत्कालीन संयुक्त पंजाब में महायोद्धा चौ० छोटूराम ने हमारी आर्थिक और कौमी अस्तित्व के लिए जंग लड़ी और वे सर्वदा महाविजेता रहे, लेकिन उनके देहान्त के बाद उस जीती हुई जंग को हम हार गए और उनकी उपलब्धियों को स्थाई रूप देने में सर्वथा असफल रहे ।
जब 15 अगस्त 1947 को सत्ता परिवर्तन हुआ तो हमारा यह सोचना सर्वथा अनुचित था कि हमने सब कुछ पा लिया है, जबकि उसी दिन से दूसरी जंग शुरू हुई और इस जंग के योद्धा बनिया (गांधी), ब्राह्मण (नेहरू) और कायस्थ (राजेन्द्र प्रसाद) बने । इस जंग की शुरुआत नेहरू ने देश में पहले आम चुनाव सन् 1952 में होने तक सभी राज्यों के मुख्यमन्त्री अपनी ब्राह्मण जाति से नियुक्त करके शुरुआत की । पं० नेहरू बहुत शातिर राजनीतिज्ञ और कट्टर मनुवादी ब्राह्मण थे । प्रथम उन्होंने नीति बनाई कि जो राज्य का कांग्रेस अध्यक्ष होगा वही राज्य का मुख्यमन्त्री बनेगा । इसके लिए उन्होंने पहले गैर ब्राह्मण कांग्रेस अध्यक्षों को हटाया अर्थात् त्याग पत्र मांगे । बम्बई राज्य के पारसी नरीमन कांग्रेस अध्यक्ष थे जिन्होंने त्याग पत्र देने से आनाकानी की तो उसे इतना तंग किया कि उन्हें आत्महत्या करनी पड़ी । लेकिन नेहरू के चेलों ने आत्महत्या छुपाकर इसे स्वाभाविक मौत करार दिया । उनकी याद में आज केवल ‘नरीमन हाउस’ है जहां पर 26-11-09 को उग्रवादियों ने हमला किया था । सन् 1947 में केवल 4 प्रतिशत ब्राह्मण कर्मचारी-अधिकारी थे लेकिन नेहरू ने
इनकी संख्या सन् 1960 तक 70 प्रतिशत पहुंचा दी । लेकिन उत्तर भारत की सबसे ताकतवर जाट कौम इस जंग में कहीं नजर नहीं आती । इसी प्रकार इस जंग में केन्द्र सरकार में हमारी भागीदारी नदारद थी । हालांकि सिख जाट सरदार बलदेव सिंह को केन्द्र में रक्षामन्त्री लिया गया । लेकिन उनको एक सिख धर्म के प्रतिनिधि के तौर पर लिया गया न कि जाट के तौर पर । कहने का अर्थ है कि यह जंग हम बिना लड़े ही हार गए और इस हार के परिणामों को हम बीस वर्षों तक झेलते रहे और अभी तक भी झेल रहे हैं
जाट भाइयो अब वक़्त आ गया है हमे जागरूक होना पड़ेगा और नए सिरे से जंग शुरू करनी होगी इसलिए जाटो में एकता होना जरुरी है तभी हम ये जंग जीत पाएंगे वरना अस्तित्व मिट जायेगा कॉम का और समाज का !
भाईचारा बनाये रखो एकता बिना कुछ नहीं है और जो कॉम का नहीं वह किसी काम का नहीं !!
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