चौ. छोटूराम

दिनांक 15.04.1944 को चौ. छोटूराम ने महात्मा गांधी को एक लम्बा पत्र लिखा जिसका सारांश था कि “आप जिन्ना की बातों में नहीं आना, वह एक बड़ा चतुर किस्म का व्यक्ति है जिसे संयुक्त पंजाब व कश्मीरी मुसलमान उनको पूरी तरह नकार चुका है। मि. जिन्ना को साफ तौर पर बता दिया जाये कि वे पाकिस्तान का सपना लेना छोड़ दें।” लेकिन अफसोस, कि वहीं गांधी जी कहा करते थे कि पाकिस्तान उनकी लाश पर बनेगा, चौ. साहब के पत्र का उत्तर भी नहीं दे पाये और इसी बीच चौ. साहब 63 साल की अवस्था में अचानक ईश्वर को प्यारे हो गये या धोखे से मार दिए गये । परिणामस्वरूप गांधी जी ने जिन्ना के समक्ष घुटने टेक दिये और जिन्ना का सपना 14 अगस्त 1947 को साकार हो गया तथा साथ-साथ जाटों की किस्मत पर राहू और केतु आकर बैठ गये।
गांधी और जिन्ना जी को इतिहास ने महान बना दिया न कि उन्होंने इतिहास को महान् बनाया। जिन्ना को तो यह भी पता नहीं था कि 14 अगस्त 1947 को रमजान है जिसका रोजा देर रात से खुलेगा। उसने तो सायं पार्टी का हुक्म दे डाला था जब पता चला तो समय बदली किया। इस व्यक्ति ने इस्लामिक देश पाकिस्तान की नींव रखी। आज चाहे जसवन्त सिंह या कोई और नेता जिन्ना के बारे में कुछ भी लिखे जबकि सच्चाई यह है कि जिन्ना और नेहरू में सत्ता लोलुपता के लिए भयंकर कस्मकश थी। गांधी एक कमजोर नेता थे और इसके लिए पाकिस्तान की नींव रखी गई, ताकि दोनों के अरमान पूरे हो सकें।
चौ० छोटूराम के साथ उस समय 81 मुस्लिम जाट तथा 37 हिन्दू-सिख जाट विधायक थे और चौ० साहब ने 8 मई 1944 को लायलपुर की लाखों की सभा में जिन्ना को ललकार कर कह दिया था कि वह उनका एक भी विधायक तोड़ कर दिखाए। लेकिन गांधी जी स्वयं ही टूट गए। लेकिन यह नहीं भूलना चाहिए कि हिन्दू महासभा के अध्यक्ष सावरकर ने तो और भी जल्दी दिखाते हुए सन् 1937 के अपने जोधपुर अधिवेशन में ही जिन्ना के दो राष्ट्रों के सिद्धान्त की अनुमति दे दी थी। (पुस्तक ‘मध्यकालीन इतिहास’ पेज नं० 103)।

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