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Showing posts from July, 2017

खाप पंचायत

खाप पंचायत एक पुरानी संस्था है । छठी शताब्दी में महाराजा हर्षवर्धन ने सर्वखाप पंचायत बुलाई थी । सही मायने में इसका विस्तार मध्यकालीन युग में हुआ था, जब कानून व्यवस्था की स्थिति अच्छी नहीं थी । इसका मुख्य कार्य अपने सदस्यों को सुरक्षा प्रदान करना तथा उनके आपसी झगड़ों का निपटारा करना था। उस काल में और 1857 के अंग्रेजों के विरुद्ध विद्रोह में हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश की खापों की प्रशंसनीय भूमिका रही है। खाप के सब सदस्यों में खून का रिश्ता माना जाता है।  इसलिये विवाह पर कई प्रकार के प्रतिबंध है - जैसा कि सगोत्र विवाह , गांव में विवाह, पड़ोस के गांव में वैवाहिक संबंधों पर प्रतिबंध है। फिर कुछ गोत्रों में भाईचारा माना जाता है और उनमें वैवाहिक संबंध पर रोक है। हरियाणा के कुछ जिले, दिल्ली देहात , पश्चिमी उत्तर प्रदेश और दिल्ली से सटा हुआ राजस्थान का क्षेत्र खाप क्षेत्र में आता है। यह अधिकांश रूप से गोत्र आधारित व्यवस्था है। किसी गंभीर समस्या पर विचार करने के लिये सब या कुछेक खापों के सम्मेलन को सर्वखाप पंचायत की संज्ञा दी जाती है। पिछले कई सालों से हरियाणा की खाप पंचाय

बाबा भय सिंह

इतिहास के पन्नो में खोये हुए योद्धा - कुछ महापुरुष ऐसे होते है जिनका नाम इतिहास के पन्नो में खो जाता है जाट युद्ध प्रिय रहा है पर कमी ये रही है कि जाट कलम का कमजोर रहा है ऐसे महापुरषो का इतिहास भुला दिया गया जो स्वर्णिम अक्षरो में लिखना चाहिए था आज बात करते है बाबा भय सिंह की, बाबा भय सिंह का नाम भोर सिंह था जिनका जन्म डीगल गांव जिला झज्जर (हरियाणा) में हुआ था जिनके नाम पर गांव भैंसी ( मुज़फ्फरनगर ) का नाम पड़ा शुरू शुरू में इस गांव को भय सिंह की ढाणी  कहते  थे जो बाद में अंग्रेजो ने बिगाड़ कर भैंसी कर दिया कुछ लोग बाबा भय सिंह को लुटेरा कहते है जिनका ख़ौफ़ बहुत था परंतु बाबा भय सिंह गरीबो के रोबिन हुड थे जो बड़े बड़े व्यापारियों को लूट कर गरीबो में बाटते थे बाबा भय सिंह ने आस पास के गावो के जाटो के साथ मिलकर 1761 में अहमदशाह के काफिले को लूट लिया था फिर बाबा भय सिंह आस पास के जाटो को लेकर यमुना पार करके कई समूह में गांव बसाये जिसमे अहलावत गोत्र के साथ दलाल गोत्री जाट और अन्य गोत्र भी थे कुछ अहलावत जाट कंडेरा - तोमर गोत्र के गांव में रुके ( बागपत ) में रुके, कुछ ने

किसानों के मसीहा चौधरी महेन्द्र सिंह टिकैत का जीवन परिचय

किसानों के मसीहाः त्याग व सेवा का प्रतीक माना जाने वाले बाबा टिकैत को न तो कभी ताज का न राज का मोह था। जीवन भर निष्पक्ष और निस्वार्थ भाव से किसानों की सेवा को अपना धर्म मान जीवन भर सेवा करते रहे। किसानों के तारणहार, चौधरी महेन्द्र सिंह टिकैत का जन्म मुजफ्फरनगर (उ.प्र.) जिले के सिसौली गांव में 1935 में एक बालियान गोत्रीय जाट किसान परिवार में हुआ था। चौधरी टिकैत ने शिक्षा गांव के ही एक जूनियर हाई स्कूल में कक्षा 7 तक प्राप्त की। चौधरी टिकैत के पिता का नाम श्री चौहल सिंह टिकैत व माता का नाम श्रीमति मुख्तयारी देवी था। चौधरी चौहल सिंह टिकैत बालियान खाप के चौधरी थे इनके पूर्वज राजकुमार राव विजय राव ने हरियाणा धावनी नगर से सन् 845 ई0 में उत्तर प्रदेश में आकर शिवपुरी नामक गांव बसाया। वहीं शिवपुरी गांव सिसौली के नाम से जाना जाता है। शिवपुरी गांव के आस-पास बालियान गौत्र के कुल 84 गांव आकर बसे। शिवपुरी गांव अपनी स्थापना काल से ही बालियान खाप के चौधरी का निवास स्थान रहा है। एक किंवदन्ती के अनुसार बालियान खाप की बहादुरी एवं वफादारी से प्रभावित होकर राजा हर्षवर्धन ने कार्य

जय जाट , जय जाटलैंड

जाटलैंड में पता नही कितनी बोली है कितनी संस्कृति है आज हम जाटलैंड के सबसे दबंग क्षेत्र जो उत्तर प्रदेश जैसे नाम में अपनी पहचान खो रहा है उसके बारे में बताएंगे, ( कुरु प्रदेश )  हरियाणा के जाटो की अलग पहचान, पंजाब के जाटो की अलग पहचान, राजस्थान के जाटो की अलग पहचान,  और हम कहाँ है  हम उत्तर प्रदेश के है, नाम से ही अपनेपन वाली बात नही आती है उत्तर प्रदेश के जाटो की संस्कृति दो भागो में विभाजित है एक ब्रज की  दूसरी कुरु प्रदेश की ( मुज़फ्फरनगर , मेरठ , बागपत , शामली , सहारनपुर , बिजनोर , अमरोहा , हापुड़ , गाज़ियाबाद और बुलंदशहर ) ये क्षेत्र कहलाता है कुरु प्रदेश , जाट वंश के प्रतापी राजा कुरु के नाम पर इस क्षेत्र का नाम कुरु पड़ा, यहाँ की कौरवी (खड़ी) भाषा विश्व प्रसिद्ध है और यहाँ के जाटो को प्राचीन समय में कौरवी जाट कहा जाता था कुरु प्रदेश का जाट दुनिया का सबसे लड़ाकू जाट माना है कुरु बैल्ट के जाट हिन्दू, मुस्लिम और सिख तीनो धर्मो में है कौरवी जाटो का इतिहास स्वर्णिम रहा है और यहाँ के जाटो में धर्म खत्म करके सिर्फ जाट संस्कृति को दोबारा जीवित करना है और यहाँ

बालियान खाप - सिसौली

इस बलवंश (गोत्र) के जाट सिक्ख अमृतसर, जालन्धर, गुरदासपुर, कपूरथला, लुधियाना जिलों में बड़ी संख्या में बसे हुए हैं । बल गोत्र के हिन्दू जाट अम्बाला, करनाल, हिसार और मुरादाबाद जिलों में अच्छी संख्या में हैं । उत्तरप्रदेश में मुजफ्फरनगर एक ऐसा जिला है जहां आज भी बलवंशी हिन्दू जाट बालियान नाम से एक विशाल जनपद के रूप में बसे हुए हैं । इन लोगों के 50 वर्गमील उपजाऊ भूमि पर 84 विशाल गांव हैं जिनमें इनकी बहुत सम्पन्न स्थिति है । काली नदी के दाएं-बाएं 20 मील तक यात्रा करने पर विशाल अट्टालिकाएँ नजर आती हैं जो इनके वैभव का परिचय देती हुई इनके गांव का बोध कराती हैं ।

बाबा महेंद्र सिंह टिकैत

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एक ऐसा नाम जिनका नाम सुनते ही बड़े बड़े अफसरों और नेताओ की पेंट गीली हो जाती थी इलाहबाद तक को जाम कर देते थे मुज़फ्फरनगर और मेरठ की तो बात ही अलग थी बात 2009 की है जब बिजनोर की एक रैली में बाबा टिकैत ने मायावती पर किसान के मुद्दे को लेकर टिप्पणी कर दी, उस समय बाबा राजनीति से दूर से हो गए थे, तो मायावती अहँकार में आकर बाबा की गिरफ़्तारी के आदेश दे दिए, सिसौली को 20 हज़ार की फ़ोर्स ने घेर लिया, मायावती ने केंद्र से भी सहायता मांगी, परन्तु आस पास के गावो  में एलान हो गया, अगर गांव में एक भी पुलिस वाला घुसा तो या तो हम या वो रहेंगे, शाम सारी जट्टयात सिसौली पहुचने लगी, पुलिस प्रशासन बुरी तरह घबरा गया, उस समय मायावती के कैबिनेट में सचिव शशांक शेखर मुज़फ्फरनगर के जाट ही थे उन्होंने बाबा से माफ़ी मांगी और स्थिति संभाली, सिसौली इस गांव जिसमे म्हारे बाबा ने 3 प्रधानमंत्री और 6 मुख्यमंत्री को ऊको से पानी पिया रखा है बाबा का चरम काल 1985 से 2005 तक रहा, देवगौड़ा (प्रधानमंत्री) तो बाबा के बहुत बड़े भक्त थे हर दूसरे महीने इनसे मिलने सिसौली आते थे और पता चलता कि बाबा खेत में गया है तो एक प्रध

जाटों के प्रमुख गोत्र

कुछ जाटों की प्रमुख गोत्र और उनके बहुल क्षेत्र सिद्धू गोत्र पंजाब का बहुत बड़ा गोत्र है पश्चिमी उ०प्र० अमरोहा, हापुड जिलों में भी काफी गांव है |  मान गोत्र भी पंजाब, हरियाणा और दिल्ली का बहुत बड़ा गोत्र है | बेनीवाल राजस्थान का महत्त्वपूर्ण गोत्र है हरियाणा और पश्चिमी उ०प्र० में भी काफी गांव है | सांगवान हरियाणा और पश्चिमी उ०प्र० का काफी नामी गोत्र है | मलिक (गठवाला) गोत्र भी काफी बड़ा गोत्र है | अहलावत गोत्र हरियाणा, राजस्थान और पश्चिमी उ०प्र० का काफी बड़ा गोत्र है इस गोत्र का हरियाण ा के चौधरी अलग और पश्चिमी उ०प्र० से चौधरी अलग है राजस्थान में भी इस गोत्र के काफी गांव है झूंनझूनू से M.P संतोष अहलावत- इसी गोत्र से हैं | बालियान गोत्र मुजफ्फरनगर पश्चिमी उ०प्र० की मुख्य गोत्र है इस गोत्र के लोग खाटी और मेहनतकश होते हैं | तोमर गोत्र के गांव हरियाणा और पश्चिमी उ०प्र० दोनों राज्यों में काफी संख्या में हैं बडौत क्षेत्र में इनके गांवों की संख्या 84 हैं और इस गोत्र के गांव भी काफी बड़े है ब्रज क्षेत्र में अग्र चौधरी , नौहवार , ठेनुआ , ठुकरेले , चाहर और कुन्तल प्रमुख गोत्

जय बाबा भय सिंह

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बाबा भय सिंह कोई हत्यारे, लूटरे नहीं थे वो तो ऐसे वीर योद्धा थे जिन्होंने एशिया के सबसे बडे सम्राट अब्दाली का खजाना लूट लिया था औऱ गरीब औऱ किसान जाटो मे बांट दिया था उनके दल मे 200 के करीब योग्य योद्धा होते थे बाद मे ये अपना पैतृक गांव छोड़कर यमुना पार करके 120 योद्धाओ को लेकर मेरठ , मुजफ्फरनगर औऱ बिजनौर मे 20 से ज्यादा गांव बसाये, खुद ये अविवाहित थे औऱ इन्होंने अपने 8 भतीजो (अहलावत) औऱ एक भांजे (दलाल) को लेकर अनुपशहर मे जा बसे, बाद मे अनुपशहर के कारोबारी औऱ मूलनिवासी शहर छोड़  गए , 9 ऊतो का ये गांव आज भैंसी (मुजफ्फरनगर) कहलाता हैं  बाबा भय सिंह (भौर सिंह) को आज सिर्फ एक गांव तक सीमित कर दिया, जबकि ये इतने बडे योद्धा थे कि नवाब इनकी खुसामद निकालकर लडने भेजते थे औऱ इनका सीधा हाथ एक युद्ध मे घायल हो गया था खब्बे हाथ के सबसे बडे तलवारबाज योद्धा थे इनका कद 7 फुट से ज्यादा था बताते है कि लोग इन्हें देख कर ही खौफ खा जाते थे इनकी शोर्यगाथाऐ को हम जोकि खो सी गई थी दोबारा दुनिया के सामने लाएगे, कि कैसे एक हाथ के योद्धा ने कितने युद्ध जीते औऱ कितने गरीबों का भला किआ..  इनके इलाके का कारोबा

प्रो कबड्डी 2017

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बागपत के नितिन तोमर 93 लाख और सचिन तोमर 46 लाख के बिके हैं बिजनौर के राहुल चौधरी 80 लाख और रोहित चौधरी 30 लाख के बिके हैं बिजनौर में प्रो कबड्डी में एक बार फिर राहुल चौधरी, रोहित चौधरी जलवा बिखेरेंगे। राहुल चौधरी तेलुगु टाइटन के सबसे महंगे खिलाड़ी होंगे। इस बार रोहित चौधरी को पुनेरी पल्टन ने 30 लाख में खरीदा है। गांव जलालपुर छोइया के कबड्डी के स्टार खिलाड़ी राहुल चौधरी इस बार भी तेलुगु टाइटन के लिए खेलेंगे। राहुल चौधरी तेलगू टाइटन के सबसे महंगे खिला़डी होंगे। राहुल चौधरी पर  इस बार बोली नहीं लगी है। उन्हें रिजर्व में रखा गया था। तेलुगु टाइटन ने मंगलवार को 50 लाख में सबसे महंगा खिलाड़ी खरीदा है। तेलुगु टाइटन से हुए करार के मुताबिक राहुल चौधरी को 25 प्रतिशत अतिरिक्त धनराशि दी जानी है। ऐसे में तेलुगु टाइटन की ओर से राहुल चौधरी को 80 लाख रुपये मिलेंगे। उधर, गांव बागड़पुर के कबड्डी खिलाड़ी रोहित चौधरी ने विगत वर्ष प्रो कबड्डी दिल्ली दबंग की ओर से खेली थी। पर इस बार रोहित चौधरी को पुनेरी पल्टन ने 30 लाख रुपये में खरीदा है। वर्ष 2015 में प्रो कबड्डी में रोहित चौधरी ने कई मैच

दिल्ली है जाटों की बाकी कहानियां है सब भाटों की

कुछ लोग दिल्ली में महाराणा प्रताप के नाम से सड़क बनवाना चाहते है कोई उनसे पूछने वाला हो की दिल्ली से महाराणा प्रताप का क्या सम्बन्ध रहा है उनकी राजस्थान में एक छोटी से रियासत थी उसके अलावा देश में कहीं भी उनका कोई सम्बन्ध नहीं रहा जिस दिल्ली की बात कर रहे है वो दिल्ली जाटों की रही है दिल्ली में जाटों की रायसीना खेत की जमीन पर इंडिया गेट, संसद भवन, राष्ट्रपति भवन, खड़े है जो अंग्रेजों से लेकर आजतक 99 साला लिज पर है उस दिल्ली में देश की आजादी के लिए दुश्मनो से लड़ने वाले भी जाट थे शहीद होने वाले भी जाट थे, देश की आजादी के लिए 1857 की क्रान्ति में सबसे पहले देश की आजादी के खातिर फांसी पर चढ़ने वाले भी जाट राजा नाहरसिंह थे राजा नाहरसिंह का बलबगढ़ से लेकर खुनी दरवाजे दिल्ली तक अंग्रेजो के साथ 134 दिन घनघोर युद्ध चला था अंग्रेजों को नचा नचाकर मारा था फिर भी अंग्रेज उनको पराजित नहीं कर सके तो धोखे से सफ़ेद झंडा दिखाकर गिरफ्तार किया और 9 जनवरी 1858 को चांदनी चौक दिल्ली में राजा साहब को फांसी पर चढ़ा दिया गया लेकिन वो देश के लिए फांसी पर चढ़कर भी गुमनाम है उनके नाम से दिल्ली में कुछ नहीं है उनके नाम प

Traditional Chaudhary JATS dress of Western Uttar Pradesh.

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पश्चिमी उत्तर प्रदेश की पारंपरिक जाट पोशाक II पश्चिमी उत्तर प्रदेश में जाट की हमेशा से अपनी एक विशिष्ट सांस्कृतित पहचान रही हैं, जिनकी झलक हमे जाट के कुर्ते, सफेद लंबी टोपी जाट(khadi boli) भाषा से साफ़ झलकती हैं, पर बड़े दुख की बात ऐसी सांस्कृतिक पहचान को हम खोते जा रहे हैं जिसको दोबारा से मजबूती के साथ बचाने की ज़रूरत है अन्यथा वो दिन दूर नही जब हमारी कोई सांस्कृतिक पहचान नही होगी ओर हम सिर्फ़ भीड़ मे रल कर रह जाएँग े । क्योंकि किसी बिरादरी की पहचान उसकी सांस्कृतिक विरासत से की जाती है क़ि फलां व्यक्ति उस क्षेत्र का व इस बिरादरी का है पर जब संस्कृति ही नही बचेंगी तो बिरादरी का मान सम्मान व उसका इतिहास कहा बच पाएँगा इसलिए अपनी संस्कृती व अपने इतिहास को पहचानें। क्योंकि एक बात बिलकुल सत्य कहीं गयी हैं, अगर किसी जाति को जड़ से मिटाना हैं,तो उस जाति की संस्कृती एवं इतिहास को नष्ट कर दीजिए। वह जाति स्वतः ही नष्ट हो जाएगी।

दबंग जाट

पूरी दुनिया के  जाट  एक हैं पर हवा पानी का फर्क हैं जितने दबंग जाट  मुजफ्फरनगर ,   शामली ,  बागपत  बैल्ट के हैं ऐसे पूरे भारत मे कही के नहीं हैं जिस तरह हरियाणा मे खुलेआम  Meeting  हो जाती हैं जाट के खिलाफ , ये क्षेत्र भी जाट बहुल हैं सबको सीधा कर देते, यहाँ का जाट Criminal mind का होता हैं खाप मजबूत हैं एकता है मुजफ्फरनगर, शामली, बागपत औऱ पश्चिमी मेरठ .. औऱ जाट   असभ्य  हैं तब तक ही इज्जत है कि कब मुह पर मार दे सभ्यता जाटो को  कमजोर  बना देती हैं

जाटलैंड :- जिला बिजनौर, पश्चमी यूपी

आज बताते हैं जिला बिजनौर के बारे में, उत्तराखंड की तलहटी में बसा जिला बिजनौर गंगा नदी से सुसज्जित है बिजनौर को उत्तराखंड का  प्रवेश द्वार भी कहा जाता है इस जिले में 22% जाट आबादी है जो कि जातिगत आधार पर सबसे बड़ी आबादी है, यहाँ की 50% से अधिक खेती की ज़मीन जाटो के पास है और जाट आर्थिक रूप से काफी सम्रद्ध भी हैं, 22% हिन्दू जाटो के साथ साथ जिले में अच्छी आबादी सिख जाटो की भी है जो अफजलगढ़, गंगा बैराज, चाँदपुर और नजीबाबाद क्षेत्र के ज़मीदार हैं..!! बिजनौर मे मुख्य खाप  तोमर  और  अहलावत  है बिजनौर मे तोमर गोत्र के 70-75 गांव हैं और अहलावत गोत्र के 65-70 गांव है बिजनौर के पूर्व विधायक सुखवीर सिहं अहलावत(रालोद) रह चुके हैं जिले में बड़े गोत्र तोमर, अहलावत, राठी, मलिक, राणा हैं और जाट एकता भी काफी प्रसिद्ध है...! इस जिले में चाँदपुर विधासभा को मिनी छपरौली भी कहा जाता है क्योंकि यहाँ से बड़े चौधरी साहब ने जिसको भी उम्मीदवार बनाया जाटो ने उसे ही जिताया है, जाटो की राजनीतिक पकड़ जिले में बहुत मजबूत है जो चुनाव को एकतरफा करने का मद्दा रखती है..! बिजनौर जिले से एक से बढकर एक बडा नेता

अहलावत खाप

Uttar Pradesh has also opened a front against female feticide Ahlawat Khap - one of the biggest treasures in Uttar Pradesh, They have 242 villages and reside in 355 villages  Bijnor - 110 villages Muzaffarnagar - 23 villages Buland city - 19 villages Meerut - 17 villages Moradabad - 16 villages Bareilly - 11 villages Rampur - 8 villages, Bagpat - 2 villages Sambhal, Amroha, Ghaziabad are villages of Ahlawat Gotra in almost every district Bhainsi village headquarters of Muzaffarnagar is situated in the village of Ahulawatu, situated in Raipur Nangli village, 1 km away from Bhainsi. Raipur,  Nangali was the village of Muzaffarnagar, the oldest village in Bhuji , which had been killed by Bhatsi 's Jato, and afterwards the punishment of black water took place, but Jatto arrived in this village and Ahlawat 's turban was kept here.                

दबंग जाट

पूरी दुनिया के  # _जाट  एक हैं पर हवा पानी का फर्क हैं जितने दबंग जाट  # _मुजफ्फरनगर , # _शामली ,  # _बागपत  बैल्ट के हैं ऐसे पूरे भारत मे कही के नहीं हैं जिस तरह हरियाणा मे खुलेआम  # _Meeting  हो जाती हैं जाट के खिलाफ , ये क्षेत्र भी जाट बहुल हैं सबको सीधा कर देते, यहाँ का जाट Criminal mind का होता हैं खाप मजबूत हैं एकता है मुजफ्फरनगर, शामली, बागपत औऱ पश्चिमी मेरठ .. औऱ जाट # _असभ्य  हैं तब तक ही इज्जत है कि कब मुह पर मार दे सभ्यता जाटो को  # _कमजोर  बना देती हैं

जय जाट जाट बलवान

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शायद ये बात बहुत कम लोगों को पता हों भरतपुर नरेश भरत सिरोमणि हिन्दू धर्मरक्षक अजय यौद्धा हिन्द केशरी महाराजा सूरजमल यूद्ध मैं दोनो हाथों से तलवार और धनुष चलाने की कला जानते थे ये कला सूरजमल के अलावा सिर्फ पांडू पुत्र अर्जुन जानते थे इसलिए सूरजमल को अर्जून ही के सातवें नाम विजय के नाम से भी जाना जाता था दोस्तो मोती डूँगरी की लड़ाई मैं सूरजमल ने सात राज्यों की सयुक्त सेनाओं को अपने पराक्रम से परास्त क्या था  राजपूत रानियां अपने महल के झरोखे से उस जाट महाराजा सूरजमल के पराक्रम की प्रसंसा कीये बिना नही रह पाए उनके मुंह से अनायास ही निकल पड़ा .............. नही सही जाटणी ने व्यर्थ प्रसव की पीर जन्मा अपने ग्रभ से सूरजमल सा वीर।।।।। दोस्तो उस युद्ध को जीतने के बाद सूरजमल का डंका पूरे भारत वर्ष मैं बजने लगा । ओर हा दोस्तो हमारे हितिहास को किताबों के पन्नों से इस तरह गायब कर दिया कभी हमने इस बात पर ध्यान ही नही दिया अभी भी टाइम ह दोस्तो इस पोस्ट को इतना शेयर करो कि हर जाट के दिल मे अपना वही सोया हुवा स्वाभिमान जाग ऊठे ओर अपनी आने वाले पुस्ते इस बात पर गर्व कर सके कि हमने जाट

बावली गाँव एशिया के सबसे बड़े गाँव

बावली गाँव एशिया के सबसे बड़े गाँव में से एक गाँव है । जो की दिल्ली - सहारनपुर Sh 57 पर है । बावली गाँव को तीन भाईयों ने बसाया था । जिनका नाम बाहुबली सिंह, महावतसिंह, रूस्तमसिंह था ने क्रमश बाहुबली गाँव,महावातपुर, रुस्तमपुर बसाया । बाहुबली गाँव ही आज का बावली गाँव है । बावली गाँव में संवत 1560 के आस -पास सर्व खाप पंचायत भी हुई थी बावली में 7 पट्टी है । मुख्य पट्टी 1 देशो की 2 मोल्लो की 3 गोपी की 4 राणो की 5 कट्कड़ की मुख्य पट्टी है बावली गाँव में ही समय में तीन प्रधान होते है ।  राणो की पट्टी में तोमर गोत्र के जाट है । राणा टाइटल लिखते है । सन ११९७ ई. में राजा भीम देव की अध्यक्षता में बावली बडौत के बीच विशाल बणी में सर्वखाप पंचायत की बैठक हुई थी जिसमें बादशाह द्वारा हिन्दुओं पर जजिया कर लगाने तथा फसल न होने पर पशुओं को हांक ले जाने के फरमानों का मुँहतोड़ जवाब देने के लिए ठोस कार्रवाई करने पर विचार किया गया. इस पंचायत में करीब १००००० लोगों ने भाग लिया. पंचायती फैसले के अनुसार सर्वखाप की मल्ल सेना ने शाही सेना को घेर कर हथियार छीन लिए और दिल्ली पर चढाई करने का एलान किया. बादशाह ने घब