बावली गाँव एशिया के सबसे बड़े गाँव
बावली गाँव एशिया के सबसे बड़े गाँव में से एक गाँव है । जो की दिल्ली - सहारनपुर Sh 57 पर है । बावली गाँव को तीन भाईयों ने बसाया था । जिनका नाम बाहुबली सिंह, महावतसिंह, रूस्तमसिंह था ने क्रमश बाहुबली गाँव,महावातपुर, रुस्तमपुर बसाया । बाहुबली गाँव ही आज का बावली गाँव है । बावली गाँव में संवत 1560 के आस -पास सर्व खाप पंचायत भी हुई थी बावली में 7 पट्टी है ।
मुख्य पट्टी
1 देशो की
2 मोल्लो की
3 गोपी की
4 राणो की
5 कट्कड़ की
मुख्य पट्टी है बावली गाँव में ही समय में तीन प्रधान होते है ।
राणो की पट्टी में तोमर गोत्र के जाट है । राणा टाइटल लिखते है ।
सन ११९७ ई. में राजा भीम देव की अध्यक्षता में बावली बडौत के बीच विशाल बणी में सर्वखाप पंचायत की बैठक हुई थी जिसमें बादशाह द्वारा हिन्दुओं पर जजिया कर लगाने तथा फसल न होने पर पशुओं को हांक ले जाने के फरमानों का मुँहतोड़ जवाब देने के लिए ठोस कार्रवाई करने पर विचार किया गया. इस पंचायत में करीब १००००० लोगों ने भाग लिया. पंचायती फैसले के अनुसार सर्वखाप की मल्ल सेना ने शाही सेना को घेर कर हथियार छीन लिए और दिल्ली पर चढाई करने का एलान किया. बादशाह ने घबराकर दोनों फरमान वापिस लेकर पंचायत से समझौता कर लिया.
मुख्य पट्टी
1 देशो की
2 मोल्लो की
3 गोपी की
4 राणो की
5 कट्कड़ की
मुख्य पट्टी है बावली गाँव में ही समय में तीन प्रधान होते है ।
राणो की पट्टी में तोमर गोत्र के जाट है । राणा टाइटल लिखते है ।
सन ११९७ ई. में राजा भीम देव की अध्यक्षता में बावली बडौत के बीच विशाल बणी में सर्वखाप पंचायत की बैठक हुई थी जिसमें बादशाह द्वारा हिन्दुओं पर जजिया कर लगाने तथा फसल न होने पर पशुओं को हांक ले जाने के फरमानों का मुँहतोड़ जवाब देने के लिए ठोस कार्रवाई करने पर विचार किया गया. इस पंचायत में करीब १००००० लोगों ने भाग लिया. पंचायती फैसले के अनुसार सर्वखाप की मल्ल सेना ने शाही सेना को घेर कर हथियार छीन लिए और दिल्ली पर चढाई करने का एलान किया. बादशाह ने घबराकर दोनों फरमान वापिस लेकर पंचायत से समझौता कर लिया.
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