दिल्ली है जाटों की बाकी कहानियां है सब भाटों की

कुछ लोग दिल्ली में महाराणा प्रताप के नाम से सड़क बनवाना चाहते है कोई उनसे पूछने वाला हो की दिल्ली से महाराणा प्रताप का क्या सम्बन्ध रहा है उनकी राजस्थान में एक छोटी से रियासत थी उसके अलावा देश में कहीं भी उनका कोई सम्बन्ध नहीं रहा जिस दिल्ली की बात कर रहे है वो दिल्ली जाटों की रही है दिल्ली में जाटों की रायसीना खेत की जमीन पर इंडिया गेट, संसद भवन, राष्ट्रपति भवन, खड़े है जो अंग्रेजों से लेकर आजतक 99 साला लिज पर है उस दिल्ली में देश की आजादी के लिए दुश्मनो से लड़ने वाले भी जाट थे शहीद होने वाले भी जाट थे, देश की आजादी के लिए 1857 की क्रान्ति में सबसे पहले देश की आजादी के खातिर फांसी पर चढ़ने वाले भी जाट राजा नाहरसिंह थे राजा नाहरसिंह का बलबगढ़ से लेकर खुनी दरवाजे दिल्ली तक अंग्रेजो के साथ 134 दिन घनघोर युद्ध चला था अंग्रेजों को नचा नचाकर मारा था फिर भी अंग्रेज उनको पराजित नहीं कर सके तो धोखे से सफ़ेद झंडा दिखाकर गिरफ्तार किया और 9 जनवरी 1858 को चांदनी चौक दिल्ली में राजा साहब को फांसी पर चढ़ा दिया गया लेकिन वो देश के लिए फांसी पर चढ़कर भी गुमनाम है उनके नाम से दिल्ली में कुछ नहीं है उनके नाम पर सड़क चैराहे करने के लिए कोई नहीं बोल सकता क्योंकि वो जाट थे लेकिन जिसका दिल्ली से दूर दूर तक का कोई वास्ता नहीं उनके नाम से इनको सड़क चाहिए क्यों भाई वहीँ दूसरे राज्यों के लोग जिनका दिल्ली से कोई वास्ता नहीं था उनके नाम से भी सड़कें चोराहे क्यों भर दिए उनको भी दिल्ली से उखाड़ फेंकना चाहिए उनका भी दिल्ली में क्या काम बंगाल के ब्राह्मण मुखर्जी, महाराष्ट्र के ब्राह्मण हेडगेवार, उत्तरप्रदेश के उपाध्याय, कश्मीरी ब्राह्मण नेहरू के परिवार, आदि ब्राह्मणों का दिल्ली से क्या लेना देना उनका अगर कोई दिल्ली से वास्ता है तो सिर्फ अंग्रेजों की गुलामी करना रहा है इनके नाम से दिल्ली में सड़क मार्ग स्मारक किसलिए बन गए और अब ये महाराणा प्रताप के नाम से दिल्ली में सड़क बनवाना चाहते है कोई पानीपत में चौक बनवाना चाहते है इन लोगों से कोई पूछने वाला हो की महाराणा प्रताप की राजस्थान में एक छोटी सी रियासत थी और इनका युद्ध मात्र ढाई घण्टे का था जिसमे इनके 59 सेनिक शहीद हुए थे फिर उनके नाम पर दिल्ली और दूसरे राज्यों में महाराणा प्रताप का क्या सम्बन्ध रहा है फिर भी तुम लोगों ने उनके नाम से काल्पनिक कहानिया बना बनाकर किताबें की किताबें भर दी पहले ही बहुत हीरो बना दिया उनके घोड़े तक के नाम से तुमने दिल्ली से चितोड़ तक रेलगाड़ी चलवा दी लेकिन दिल्ली तक राज करने वाले मुगलो से लड़ने वाले योद्धा तो भरतपुर के सुरमा थे महाराजा सूरजमल महाराजा जवाहरसिंह ने दिल्ली में मुगलों के घर में घुसकर पीटा था और मुगलों के महल के किवाड़ तक उखाड़ लाए थे जो आज भी डीग भरतपुर के महलों में पड़े है उनके नाम से दिल्ली में क्यों नहीं बनवाना चाहते वो इसलिए की वो जाट थे।

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