1191 में हरियाणे के वीर जाट यौद्धा जाटवान सिंह मलिक की कुछ यादे। जय जाट


1191 में पृथ्वीराज चौहान और मोहम्मद गौरी के बीच युद्ध हुआ।इस युद्ध में जाटो ने पृथ्वीराज जी का पूरा साथ दिया।गौरी हार गया पर दोबारा उसने 1192 में हमला कर दिया जिसमें जयचंद राठौड़ ने गौरी का साथ दिया और पृथ्वीराज जी हार गए।और गौरी ने फिर जयचंद को भी मार दिया।
इसके बाद गौरी ने कुतुबुद्दीन ऐबक(1206-1210)को दिल्ली का राजा बना दिया।
ये वही कुतुबुद्दीन है जिसने 700 मंदिर तोड़कर मस्जिदे बनाई,जिसने 1लाख 33000 लोगो का धर्म के नाम पर कत्ल किया,जिसने 80000 जीवो की हत्या की।
जाटो को ये अत्याचारी अधर्मी राजा सहन नही हुआ और उन्होंने हिन्दू वीर यौद्धा जाटवान मालिक के नेतृत्व में विद्रोह कर दिया।
क्योंकि ये पृथ्वीराज के समय अपने देश के स्वयं शासक थे और पृथ्वीराज को नाममात्र का राजा मानते थे। जाटों ने एकत्र होकर मुसलमानों के सेनापति को हांसी में घेर लिया। वे उसे भगाकर अपने स्वतन्त्र राज्य की राजधानी हांसी को बनाना चाहते थे। इस खबर को सुन कर कुतुबुद्दीन सेना लेकर रातों-रात सफर करके अपने सेनापति की सहायता के लिए हांसी पहुंच गया। जाटों की सेना के अध्यक्ष जाटवान ने शत्रु के दोनों दलों को ललकारा. कि दोनों ओर से घमासान युद्ध हुआ। पृथ्वी खून से रंग गई। बड़े जोर के हमले होते थे। जाट थोड़े थे फिर भी वे खूब लड़े। कुतुबुद्दीन स्वयं घबरा गया। जाटवान ने उसको निकट आकर नीचे उतरकर लड़ने को ललकारा। किन्तु कुतुबुद्दीन ने इस बात को स्वीकार न किया। जाटवान ने अपने चुने हुए बीस साथियों के साथ शत्रुओं के गोल में घुसकर उन्हें तितर-बितर करने की चेष्टा की। कहा जाता है जीत मुसलमानों की रही। किन्तु उनकी हानि इतनी हुई कि वे
रोहतक के जाटों का दमन करने के लिए जल्दी ही सिर न उठा सके।”
रोहतक के जाटों का दमन करने के लिए जल्दी ही सिर न उठा सके।” (जाट
लल्ल गठवालों ने जाटवान मलिक के नेतृत्व में मुसलमानों पर धावा किया। यह भयंकर युद्ध तीन दिन और तीन रात चला जिसमें जाटवान शहीद हुआ। जाट इतिहास पृ० 16-17 लेखक कालिकारंजन कानूनगो के अनुसार हरयाणा के जाटों ने एक योग्य नेता जाटवान के नेतृत्व में इस युद्ध में भाग लिया।
जाटवान के बलिदान होने पर लल्ल गठवालों ने हांसी को छोड़ दिया और दूसरे स्थान पर आकर गोहाना के पास आहुलाना (हलाना), छिछड़ाना आदि गांव बसाये। वीर जाटवान के बेटे हुलेराम ने संवत् 1264 (सन् 1207 ई०) में ये गांव बसाये। जय सहीद जाट वीर जाटवान मालिक।

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