जाट बटालियन

3 नम्बर जाट बटालियन का डोगराई पर अधिकार -
डोगराई गांव में पाकिस्तान के लगभग एक ब्रिगेड का जमाव (defence) था। उन्होंने चारों ओर कांटेदार तार एवं बारूदी सुरंगें लगा रखी थीं और 18 मशीनगनें (M.M.G.), 6 पेटन टैंक एवं भारी तोपें लगाईं थीं। 3 जाट पलटन ने 21-22 September 1965 ई० को डोगराई पर रात के समय अपना युद्धघोष जाट बलवान जय भगवान् बोलकर धावा बोल दिया।
गोलियों की वर्षा व तोपों के गोलों की परवाह न करते हुए शत्रु के मोर्चों पर टूट पड़े। हाथों हाथ संगीनों की लड़ाई में ऐसे पैंतरे दिखाए कि दुश्मन का दिल दहल गया। पाकिस्तानी सेना जाटों से इतनी भयभीत हुई कि मोर्चे छोड़कर भाग गई या शस्त्र डालकर बहुत से कैदी हो गये और काफी मारे गये। सब सामग्री, 3 जाट पलटन के हाथ आई। इस पलटन ने भारतीय तिरंगा झण्डा इच्छोगिल नहर पर पहरा दिया। एक पलटन द्वारा इतना शक्तिशाली शत्रु का मोर्चा जीतने की ऐसी मिसाल संसार में कोई भी न मिलेगी।
डोगराई की विजय पर प्रधानमन्त्री लालबहादुर शास्त्री जी, रक्षामंत्री श्री यशवन्तराव चव्हाण, चीफ आफ आर्मी स्टाफ जनरल जे० एन० चौधरी, ब्रिगेडियर रणसिंह अहलावत , ले० जनरल हरबख्शसिंह आदि ने स्वयं पधारकर बटालियन को शाबासी व हार्दिक बधाई दी। बाद में महाराष्ट्र, मैसूर, पंजाब और मध्यप्रदेश के गवर्नर भी पधारे थे।
इस अवसर पर ले० जनरल हरबख्शसिंह साहब ने अपने भाषण में कहा था कि “आप की 3 जाट बटालियन ने एक महान् जीत प्राप्त की है जो ऐसी किसी पलटन ने नहीं की। इसके लिए पूरे भारतवर्ष को गौरव है।” 3 जाट बटालियन के डाक्टर एस० जी० रेड्डी के अनुसार - “घायल जाट जवानों को मरहम पट्टी करते समय मैंने किसी को ‘आह’ कहते हुए कभी नहीं सुना।” पाकिस्तानी कैदी ले० कर्नल गोलवाला के शब्दों में - “जाटों को रोकना हमारे लिए असम्भव था।”

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