माता भाग कौर(माई भागो)-

एक महान योद्धा औरत जिन्हे हिंदुस्तान की धरती पर सबसे बहादुर औरत कहा गया है जिन्होंने मुठी भर जाट सिखों का नेतृत्व करके कई बार मुग़लो+राजपूतो की बड़ी बड़ी सेनाओ को हराया-आपका जनम 1671 मे गाँव झबल कलां अमृतसर पंजाब के मझ क्षेत्र जो जाटो की बहादुरी के लिए विख्यात है के चौधरी लंगाह सिंह ढिल्लों(ढिल्लों 84 खाप के प्रधान) जागीरदार के छोटे भाई चौधरी पिरो सिंह की पौत्री के रूप में हुआ,आप बच्पन से ही धार्मिक स्वाभाव की थी,ये पांचवे गुरु श्री अर्जन देव जी महाराज का दौर था और पंजाब खासतौर पर मझ क्षेत्र के जाट बड़ी तेजी के साथ हिन्दू धर्म छोड़कर सिख धर्म अपना रहे थे ,आपका विवाह पट्टी के जागीरदार चौधरी निधान सिंह वररैछ(warriach) के साथ शाही अंदाज़ मे हुआ पर आप शाही ठाठ बाठ छोड़कर देश को मुगलो से आज़ाद कराने में लग गयी,आप 1705 में मुगलो और राजपूतो की शाही सेना को सिर्फ 40 जाट सिखो की मदद से हराकर मशहूर हुई-1705 मे कई लाख राजपूत और गुज्जरों को साथ लेकर मुग़लो ने श्री आनंद पुर साहिब के पवित्र शहर को घेर लिया,राजपूतो की गद्दारी का अंदाज़ा इसी बात से लगाया जा सकता है की पूरे हिंदुस्तान की सभी राजपूत रियासतें(सिर्फ 3को छोड़कर) मुग़लो के साथ थी,दशम गुरु श्री गुरु गोबिंद सिंह की सेवा मे 10,000 जाट लगे हुए थे जिनमे ज्यादातर मझ(सेंट्रल पंजाब) के थे,कई लाख की मुग़ल और राजपूत सेना को देखकर गुरु जी ने कहा की जो लड़ाई छोड़कर जाना चाहता हो चला जाए,पर वो मेरा सिख नहीं होगा,10 हज़ार में से 40 जाटो ने अपने अपने नाम लिखकर मैदान छोड़ दिया,बाकी बारूद की तरह दुश्मन को जलाने के लिए तैयार थे,जब वो 40 जाट सिख धर्म त्याग कर जा रहे थे तो उनका सामना माई भागो से हो गया,माई ने उन जाटो को चूड़ियाँ देकर कहा की ये पहन लो,ना तुम जाट हो ना सिख और ना ही मर्द,याद रखना की असली जाट मैदान नहीं छोड़ता,खरी खोटी सुनने के बाद जाटो की आँखों में खून उतार आया और वो बोले माँ हमे माफ़ करदो हम लड़ेंगे पर हम में गुरु जी से आँखें मिलाने की हिम्मत हम में नहीं बची,हम मरकर ही मैदान छोड़ेंगे ,ऐसा सुनकर माई भागो ने तलवार निकाल ली,माई ने पहले भी कई मुग़ल जत्थो को हराया था,अब माँ आगे थी और 40 बच्चे पीछे थे,माता जी ने मुग़लो और राजपूतो की कई हज़ार की फ़ौज़ पर धावा बोला,जाट आग बन कर बैरी पर बरसे,मुग़लो और राजपूतो की बन्दूके,तोपें तलवारें किसी काम ना आई और कुछ ही मिंटो में माई भागो की 40 बच्चों की फ़ौज़ ने कई हज़ार मुगलो और राजपूतो को मार दिया,जाट आखिरी सांस तक गंदासो(gandassa) से लड़े,इस लड़ाई में सभी सिख योद्धा वीर गति को प्राप्त हुए,सिर्फ एक बच पाया और माता जी भी सकुशल रही,फिर माता जी ने इस जाट को साथ लेकर दूसरा मोर्चा संभाला ,आनंद पुर साहिब की लड़ाई को गुरु जी और माई भागो की छोटी सी जाट फ़ौज़ ने बडे अंतर से जीता,इस लड़ाई में कई लाख राजपूत और मुग़ल मारे गए,फिर माता जी ने गुरु जी से निवेदन किया की जिन 40 सिखों ने मैदान छोड़ा था वो सबसे ज्यादा बहादुरी से लडे,आप उन्हें माफ़ करदें,गुरु जी उन्हें माफ़ कर दिया और ये 40 जाट सिख चाली मुक्ति के नाम से मश्हूर हुए,इस लड़ाई में गुरु जी अपने बच्चों और पंज प्यारो को खो चुके थे,इसके बाद पंजाब के 12 के 12 चौधरी(जाट मिसल्स) इकट्ठे हो गए और अपना राज्य ईरान बॉर्डर तक फैलाया,हमे गर्व हैं की ऐसी बहादुर औरतें हमारे समाज में पैदा हुई

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