मैं एक जाट हूँ!

मैंने कभी महाराजा सूरजमल बन कर मुग़लो के खिलाफ भारत की लड़ाई लड़ी तो कभी सर छोटूराम बन कर मजदूरो के हक़ की लड़ाई लड़ी । कभी खोखर बन कर ग़ज़नी जैसे लुटेरो को मारा तो कभी चरण सिंह, सरदार प्रताप कैरों , नाथूराम मिर्धा और देवीलाल बन कर देश के किसानो के हितो की रक्षा करी | कभी मैंने निर्मलजीत सिंह सेखों बन कर पाकिस्तान को छट्टी का दूध पिलाया तो कभी सुशील कुमार और फोगाट बहने बन कर खेलो मैं  देश का नाम बढ़ाया|

वो मैं ही हूँ जिन्होंने सती जैसी प्रथा को कुचला, वो मैं ही हूँ जिसने 1947  मैं हुए दंगो मैं पाकिस्तान से आये हिन्दुओ और मुसलमानों को पनाह दी| वो मैं ही हूँ जिसने आज तक अपने आप को ज़ात पात के धर्मो से अलग रखा और वो भी मैं ही हूँ जिसके क्षेत्रो मैं आज तक दंगो का इतिहास नहीं रहा|
आज भी मैं या तो चुपचाप मेहनत कर के अनाज उगा के देश को खिला रहा हूँ या बॉर्डर पर अपनी जान की बाज़ी लगा रहा हूँ, जितनी मेहनत मैंने इस देश पर करी है शायद ही किसी और कौम ने करी हो पर देश के इतिहासकारो ने हमें हमारा हक़ नहीं दिए और हमने भी कभी शिकायत नहीं करी क्यूंकि  मैं मेहनत के बल पर आगे बढ़ने मैं विश्वाश करता हूँ |

पर अब ऐसा लगता है मुझे किसी की नज़र लग गयी| अब दुःख होता है अपने ऊपर लगे कटाक्ष सुन कर | और उससे भी ज्यादा दुःख होता है जब मेरा हक़ छीन कर औरो को दे दिया जाता है और मैं आवाज़ उठाऊं तो मुझे 'आरक्षण का भिखारी' या 'लठैत' या 'गुंडा' कहा जाता है| मैंने आज तक भीख नहीं मांगी, न किसी का  हक़ छीन के खाया है और शायद ये ही वजह है की मैं आज भी पिछड़ा हूँ, सेठ और शाश्त्रो के ज्ञानिओ की तरह ऊँचे पदो पर नहीं हूँ पर वहाँ पहुँचने की लालसा भी न रखु , ये कैसी बराबरी हुई?

मैं आज भी सब भुला कर पहले की तरह देश की सेवा करता रहूँगा, शायद ये सब भूल भी जाऊ पर आप मेरे योगदान मत भूलिए क्यूंकि जो हाथ आप को खिलाये और आप की रक्षा करे उसे काटा नहीं करते |

मैं जाट हूँ

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