सहारनपुर
पश्चिमी उ०प्र० (जाटलैंड) के 18 जिलों में से एक जिला सहारनपुर भी है सहारनपुर में जाट आबादी कम है सहारनपुर जिले में गुर्जर, त्यागी और राजपूत बिरादरी के भी गांव है फिर भी यँहा के जाटो का सहारनपुर की काफी भूमि पर कब्जा है आज हम सहारनपुर के जाटों के बारे मे आपको बताते हैं सहारनपुर में जाटों को तीन वर्गों में रखा है जाट, पछेदे जाट और कोली जाट। पछेदे जाट कहने के कई कारण कहे जाते हैं पहला कारण की ये पंजाब से आये थे पंजाब हैं पश्चिम में।तो पश्चिम से आने के कारण पछेदे कहे जाने लगे.कोली जाटों के बारे में कई बातें हैं परन्तु यहाँ के कोली जाटों पर जमीनें बहुत है एक एक किसान के बांटे में कई कई सौ बीघा जमीन आती हैं इस जिले में जाटों के 95 गांव के करीब है जिनमें कोली जाटों के 25 से ज्यादा गांव है 30 से उपर गांव पछेदे जाटों के हैं 10 गांव से उपर मुस्लिम जाटों के है 25 के करीब ही सामान्य जाटों के गांव है परंतु मुस्लिम समुदाय को छोड़कर इन सभी वर्गों के जाटों में शादी बेटी का रिश्ता है यहाँ के जाट बहुत शांत स्वभाव के कहे जाते है इनमें कोली जाट समपन्नता के मामले में बहुत आगे है ये बड़े जमीदार हैं काफी संख्या में सिख जाटों ने भी यहाँ खेती योग्य जमीनें ली है यहां जाटों का कोई लोकल बड़ा लीडर नहीं हैं कई वर्ग के जाट होने के कारण यहाँ के जाटों में आपसी मनमुटाव सा भी रहता है कि हम श्रेष्ठ हैं हम श्रेष्ठ है अतः हम सहारनपुर के जाट भाइयों से विनती करते हैं कि सब जाट भाई मिलकर रहे । राजनीति और अपनी दबंगाई को मजबूत करे।वो जाट ही क्या जिसकी कोई दबंगई ना।चाहे पूरे जिले में जाटों का एक गाँव क्ंयू ना हों। गुनारसा-गुनारसी सहारनपुर के देवबंद क्षेत्र में दबंग गांव है कम संख्या होने के बावजूद सहारनपुर में जाटों की अच्छी पकड़ है इसे हम ओर मजबूत कर सकते है अगर एकता से रहे।
जय जाट, जय जाटलैंड
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