चौधरी छोटूराम

धर्म नाम की दुकानदारी करने वाले धर्मों के ठेकेदार कभी नहीं चाहते की सभी लोग एक दूसरे को भाई मानकर भाईचारे से रहे क्योंकि इनकी दुकानदारी धर्म के पाखण्ड पर टिकी है और इसी धर्म के नाम से लोगों को आपस में लड़वाकर अपनी राजनितिक रोटी सेंककर सत्ता कायम करते आए है इसी धर्म के नाम पर भारत के दो टुकड़े कर दिए इसी धर्म ने एक भाई का दूसरे भाई के हाथों गला कटवा दिया इसी धर्म ने भाई भाई को मरवा दिया,
ये धर्म के ठेकेदार भोले भाले लोगों को धर्म की बूंटी सुंघाए रखना चाहते है ताकि इनके पाखण्ड की दुकानदारी हमेशा चलती रहे और अपनी सत्ता कायम रह सके इसलिए आजादी से पहले हमारे किसान कौम के भगवान रहबर ऐ आजम छोटूराम जी ने इन धर्म के ठेकेदारों को इनकी असली औकात बता दी थी इन धर्म के ठेकेदारों को एक किनारे लगा दिया था उन्होंने सबसे पहले सभी धर्मों में बंटे जाटों को एक सूत्र में पिरोया उन्होंने कहा धर्म तो मात्र पूजा पद्द्ति हो सकती है वो व्यक्ति का निजी मामला है इसलिए इस धर्म के आडम्बर को जीवन के साथ मत जोड़िये वो धर्मो में बंटे जाटों को अक्सर कहा करते थे,
" हमने ये माना मजहब जान हैं इंसान की ,कुछ इसके दम से कायम शान हैं इंसान की ,रंगे-क़ौमियत मगर इससे बदल सकता नहीं ,खून आबाए-रग ओं तन से निकल सकता नहीं "
यानी इंसान चाहे धर्म दिन में तीन बार बदली करे पर अपनी रगों से खून नहीं बदलता इसलिए जाट चाहे किसी भी धर्म में आस्था रखते हो पर दूसरे धर्म को मानने वाले जाट को भी अपना भाई समझे क्योंकि उनके साथ तुम्हारा खून का रिश्ता है और दुनियां में खून का रिश्ता सबसे बड़ा होता है,  इसलिए जबतक चौधरी छोटूराम जीवित रहे तब तक इन धर्म के ठेकेदारों की दाल कभी गलने नहीं दी इनके मंसूबो पर पानी फेरते रहे लेकिन वो जाते ही इन पाखंडियो को मौका मिल गया इन्होंने धर्म के नाम पर भारत के दो टुकड़े किये असल में भारत के क्या जाटों के दो टुकड़े कर दिए और हमेशा के लिए बिच में लकीर खिंच दी

जय यौधेय

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