रिंकू हुड्डा पिता ने कर्जा लेकर भेजा स्विटजरलैंड, बेटे ने गोल्ड जीत पैरालंपिक में बनाई जगह
रियो ओलिंपिक में ब्रॉज मेडल जीतकर देश का नाम रोशन करने वाली रेसलर साक्षी मलिक के बाद अब रोहतक के तीन खिलाड़ी पैरालिंपिक में अपने दावेदारी पेश करेंगे। रियो में 7 से 18 सितंबर तक होने वाले पैरालिंपिक के आर्चरी मुकाबले में पूजा हुनर दिखाएगी। दिव्यांग रिंकू हुड्डा एक हाथ से ही जेवलिन थ्रो में कमाल दिखाएंगे। 31 अगस्त को ब्राजील के लिए रवाना होंगे।
धामड़ गांव का दिव्यांग रिंकू हुड्डा रियो में होने वाले पैरालंपिक के महाकुंभ में जेवलिन थ्रो में भाग लेगा। किसान रोहताश हुड्डा का बेटा रिंकू (17) हायर सेकेंडरी की पढ़ाई कर रहा है। पढ़ाई के साथ खेल में अव्वल रिंकू ने बताया कि वर्ष 2003 में पंखे की चपेट में आकर बायां हाथ गंवा बैठा। हाई जंप, डिस्कस थ्रो व जेवलीन थ्रो में दिलचस्पी बनी तो शारीरिक अक्षमता को पीछे छोड़ दिया। वर्ष 2013 से खेल का अभ्यास शुरू किया। वर्ष 2015 में गाजियाबाद में हुई नेशनल जेवलीन थ्रो प्रतियोगिता में सिल्वर, वर्ष 2016 में पंचकूला में हुई नेशनल जेवलीन थ्रो में ब्रांज मेडल व 23 से 30 जून 2016 तक स्विटजरलैंड में हुई इंटरनेशनल टूर्नामेंट में 44 मीटर वर्ग में बेहतर प्रदर्शन कर गोल्ड मेडल जीतकर पैरालंपिक के लिए जगह पक्की की।
रिंकू के बड़े भाई अनुज ने बताया कि उनके पास स्विटजरलैंड जाने के पैसे नहीं थे। पिता ने रिंकू की लगन व काबिलियत देखते हुए पिता ने डेढ़ लाख रुपए कर्ज लिया। रिंकू ने भी गोल्ड जीतकर पैरालंपिक के लिए क्वालीफाई करके उनका मान रखा। अनुज ने दावा किया कि रिंकू पैरालंपिक में सबसे कम उम्र का खिलाड़ी है। रिंकू ने स्टेट व नेशनल टूर्नामेंट खेलते हुए सात गोल्ड, चार सिल्वर व दो ब्रांज मेडल हासिल किए हैं। अब हमें ही नहीं पूरे गांव को उम्मीद है कि रिंकू रियो में अपनी प्रतिभा के अनुसार प्रदर्शन कर देश के लिए गोल्ड मेडल जीतकर आएगा। रिंकू का मुकाबला 13 सितंबर को है।
संसाधनाें की कमियां नहीं डाल सकी रुकावट
दिव्यांग रिंकू ने बताया कि उसने राजीव गांधी खेल स्टेडियम में घंटों पसीना बहाकर अभ्यास किया। शुरू में तो सरकारी कोच के तौर पर अनूप ने मार्गदर्शन किया, लेकिन कुछ माह बाद उनका तबादला पानीपत हो गया। इसके बाद से आज तक मार्गदर्शक के तौर पर जितेंद्र हुड्डा व ज्ञानेंद्र ने उसे पैरालंपिक तक पहुंचने में खासी मदद की। सरकारी कोच व संसाधनों की उपलब्धता न होने पर निराशा जताते हुए रिंकू ने कहा कि सरकार को दिव्यांग खिलाड़ियों को प्रोत्साहन देने के लिए भी ध्यान देना चाहिए। सोनीपत के साई कैंप में रहकर प्रशिक्षण लेना अच्छा अनुभव रहा, वहां से काफी कुछ सीखने को मिला है।
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